श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ की महिमा, झाडो़ली वीर (राजस्थान) part 2 on new update
काशी विश्वनाथ श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ की महिमा, झाडो़ली वीर (राजस्थान) part 2.
श्री वोवेश्वर महादेव
देवनगरी के देवदर्शन पार्ट - 633 " सिरोही के झाडोली वीर गांव के श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ की जहां संतो ने तप किया "
*om nmo narayan*
*श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ का इतिहास अतिप्राचीन है , ये मंदिर साधु संतों तपस्वियों की पसंदीदा है । यहां पांच पांडवों ने तपस्या की , यहां सोमोती अमावस्या साक्षात रुप से आती थी , महान तपस्वी संतसिरोमणी श्री श्री 1008 श्री तपोपुर श्री निरंजन पुरी जी महाराज ने यहां कठोर तपस्या की थी जिनका उल्लेख हमने देवनगरी के देवदर्शन पार्ट 632 मे किया था ।*
👉 *वर्तमान मंदिर का जिर्णोद्धार निर्माण -*
*संवत् -२०००, अष्टमी, शुक्ल पक्ष, माघ, में श्री बजरंग पुरिजी महाराज के द्वारा महाराजा स्वरुप सिंहजी वार मैं २८/०२/१९४४ में करवाया गया ।*
*मंदिर में विराजमान देवता -*
*दांयी बाजू से अखण्ड ज्योति... श्री गणपति, माता पार्वती जी, भगवान विष्णु जी, महालक्ष्मी जी, ब्रह्मा जी। मध्य में स्वयं भू स्वयं काशी विश्वनाथ श्री वोवेशवर जी महादेव चरणों में तपोपुरिजी का चेहरा उत्कीर्ण किया हुआ सन्मुख-दण्ड, त्रिशुल-दो नन्दी, चरण पादुकाओं में गंगाजल, कुण्ड जिसका जल किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं हुआ है।*
*वटवृक्ष बरगद व नीम नारायण के पेड है। विभिन्न जाति धर्म की धर्मशालाएं बनी हुई हैं और बन रही है, यहाँ दरवाजे में अति मनमोहक हवा आती है। जो प्रत्येक यात्री को हर्षाती है। मंदिर में सुंदर महल, झरोखे अतिप्रिय लगते हैं। उपरोक्त समस्त दर्शन आप स्वयं पधारकर भी अनुभव कर सकते हैं। आगे विशाल चौक मेला त्यौहारों के लिए है। मंदिर में पूजा-अर्चना झाडोली एवं मनादर गावं के दो ब्राह्मण पंडित जी मिलकर किया करते हैं। मुख्य मेले सबसे बडा मेला प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को लगता है, शिवरात्री में निर्जला एकादशी के दिन, हरियाली अमावस्या को, संपूर्ण श्रावण मास में मेले जैसा ही वातावरण बना रहता है। प्रति सोमवार को साप्तताहिक मेला लगता है, प्रत्येक पूर्णिमा को महिलाएं अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए नारियल व कलश चढाने बडी संख्या में आती रहती है। इस प्रकार १२ मास मंदिर में रेल-पेल रहती है।*
*भण्डारा -*
*भंडारा (कोटार)का निर्माण श्री मोतीपुरी जी महाराज ने किया था । बाहर गांव से आने वाले यात्रीयों के लिए भण्डारा सदा आरंभ रहता है। संपूर्ण गांव से भण्डारे के लिए दो बार अनाज एकत्रित होता है। शुरु संवत् १८२४ में ठाकुर जालम सिंहजी द्वारा करवाया गया था ।*
*गुफाएं -*
*यहाँ अन्तर्ध्यान हेतु मंदिर बाहर पहाड में गुफा भी बनी हुई है। जहाँ ओमकार भारती जी व देवानंद ब्रह्मचारी जी सियाणा वालों ने यहाँ कठोर तपस्या करके सिद्धि प्राप्त की हुई है ।*
*यहाँ के सिद्ध पुरुष साधु महात्मा*
*महंतो की पीढ़ी से पीढ़ी चलती हैं*
*योगीराज महंत मठाधीश हुए मुख्य नाम*
*श्री मोती पुरी जी , श्री भगवान पूरी जी , श्री मानपुरी जी , महंत श्री खिमपुरिजी , महंत श्री गजपुरीजी , महंत श्री आनंदपुरी जी ,महंत श्री गुलाबपुरि जी , महंत श्री रामपुरी जी , महंत श्री रावतपुरि जी , महंत श्री दरियापुरजी , महंत श्री बजरंगपुरी जी , महंत श्री लक्ष्मण पुरी जी , महंत श्री जोरावरपुरिजी , महंत श्री देवपुरि जी , महंत श्री शिवपुरी जी , महंत श्री करणपुरीजी व अन्य महात्मा अत्यंत प्रसिद्ध व सिद्ध हुए है ।*
*वर्तमान में महंत श्री रूपपुरीजी , अन्य श्री कैलाशपुरीजी , श्री मगनपुरीजी व श्री मंगलपुरी जी साधु मंदिर मठ में विराजमान है ।*
*इस प्रकार श्री वोवेश्वरजी महादेव जी का वर्णन अपार है जो कोई सत्य मन से आकर आराधना करता है । उसकी मनोकामना पूर्ण होती है ।*
*श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर अतिप्राचीन है -*
*श्री वोवेश्वर महादेव जी के स्थापना की कोई प्रमाणित तिथि संवत् मिलना संभव नहीं हुई । जब हिमालय का पुत्र मैनाक (नंदीवर्धन) (आबु) की ब्रह्म खाई को पाटने के लिए आबूराज भेजा गया होगा। तब मैनाक (नंदीवर्धन) द्वारा ३३ करोड देवी-देवताओं को अपने मस्तिष्क पर विराजमान होने का अर्बुदा वचन लिया। तत्कालिन समय में आबूराज पर ३३ करोड देवी-देवता विराजमान हुए तथा आबू एवं सिरोही जिले में करीब-करीब अधिकांश पहाड़ियों में भगवान भोलेनाथ शिवशंकर विराजमान हुए ।*
*झाडोली (वीर) स्थित श्री वोवेश्वरजी महादेव जी मंदिर मठ -*
*यह मंदिर आबू व सिरोही जिले के अंतिम छोर पर है, यहाँ से १४ कि.मी. पर जालोर जिला प्रारंभ हो जाता है । श्री गुरू शिखर , श्री दांतराई , श्री हमीरपूरा (गुजरात) , श्री बिल्लेश्वर व श्री झाडोली वीर के वोवेश्वरजी मठ ये पाँचों मुख्य मठाधीश आबू में मुख्य कर्णधार है ।*
*पांच पांडवों की तपोभूमि श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर -*
*पांडवों के देवालयों से यह अनुमान लगया जाता है कि द्वापयुग में भी यह शिवालय दुर्गम और सुरम्य पहाडियों में था ।*
*झाडो़ली वीर के माल की पहाडियों में सोलंकी व परमार का साम्राज्य १३वी सदी में करीब ८०० वर्ष पूर्व रहा हैं , इसका उल्लेख माल (पर्वत) के खण्डहरों से मिलता हैं तथा बड़वों की बहियों में भी मिलता हैं ।*
*गांव झाड़ोली वीर की स्थापना १६वीं सदी में हुई है । सवंत् १६१० में वजाजी देवडा़ हुए । सवंत् १७०१ में ठाकुर कृष्णदास वजावत को झाडो़ली वीर पाट में मिली । तब से श्री वोवेश्वर महादेव जी को कुलदेवता मानने लगे।*
*श्री वोवेश्वर महादेव मठ के जुड़े हुए मठ मुख्य जागीरी हेमशाई कवला मठ , पावकटन महादेव मठ वड़वेश्वर आहोर मठ रामदेव , नुन मठ जाना मठ अन्य मठ और है ।*
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और जानने के लिये part-1 को पढ़े इस लिंक पर क्लिक करे और हमे कंमेंट कर बताये आपको पार्ट केसा लगा
Jay mahadev
जवाब देंहटाएंBahut acha banaya aapne blog
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