श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ की महिमा /कहानी, झाडो़ली वीर (राजस्थान)
काशी विश्वनाथ श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ की महिमा, झाडो़ली वीर (राजस्थान) part 1.
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om nmo narayan
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*श्री काशी विश्वनाथ द्वादश ज्योतिर्लिंग में ' काशी विश्वनाथ ' का बडा विशेष महत्व दिया गया हैं। वही महत्व ' श्री वोवेश्वर महादेव जी ' का है , जो पुण्य फल सौमवती अमावश्या, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्री, श्रावण मास में शिव आराधना का फल काशी में प्राप्त होता है वही महात्म ' श्री वोवेश्वर महादेव पुण्य धाम ' का है। मंदिर मठ की प्रसिद्धि में महान पुण्यात्मा निरंजन तपोपुरीजी का योगदान हैं।*
*महान् सिद्ध पुरुष हुए श्री श्री 1008 श्री निरजंन तपोपुरीजी महाराज -*
*झाडो़ली वीर की सुरम्य पहाड़ियों में कल-कल बहते झरने, घनी अंधेरी काली रातें, हाङ-मांस को कंपाने वाली ठंडी हवाएं, भीषण गर्मी शेर चीतों के दहाङने की भयावनी आवाजें नाना प्रकार के कष्टों को झेलते हुए संतसिरोमणी श्री तपोपुरीजी महाराज ने महादेव जी की कठोर तपस्या की । साधु के तप की सिद्धि कुंभ मेले में परख के पश्चात सिद्ध होती है। संपूर्ण एक युग शिव तपस्या कर श्री तपोपुरीजी महाराज इलाहाबाद (प्रयागराज) के ' कुंभ मेले ' में पैदल महिनों तक चलकर गये। कुंभ में जाकर उन्होंने अपने गुरुओं, संत महात्माओं , आचार्यों, शंकराचार्यों को अपना जीवन परिचय दिया तथा अपने कर्म स्थली झाडोली (वीर) श्री वोवेश्वरजी महादेवजी के बारे में वृतांत सुनाया तो काशी के पंडितों-ब्राह्मणों ने एवं सिद्ध योगी, संत-महात्माओं एवं धर्म गुरुओं ने अपनी दिव्य दृष्टि से श्री वोवेश्वरजी महादेव जी का सारा वृतांत इस प्रकार बखान कर सुनाया कि :
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*👉१). गांव झाडो़ली वीर व मणादर के खेतों का नाम वीर है, जहाँ गेहुँ चने की उपज होती है।*
*👉२). झाडो़ली के झाडो़ला पहाड में निर्मल झरने की राह में भोलेनाथ काशी विश्वनाथ श्री वोवेश्वरजी महादेवजी का अति प्राचीन मंदिर स्थित है।*
*👉३). महादेव जी के श्री चरणों में दुग्ध वर्णनी गंगा बहती है।*
*👉४). जिस पर्वत में भगवान भोलेनाथ शिवशंकर श्री वोवेश्वर महादेवजी विराजमान है, वह तांबे का पहाड है।*
*👉५). मंदिर में स्थित पीपल के वृक्ष पर स्वर्ण (सोने) के पत्ते हैं।*
*श्री तपोपुरीजी निरंजन महाराज ने काशी के महात्माओं की क्रम संख्या १ व २ की बातें तो सत्य मानी, किंतु ३, ४, ५ के लिए उन्होंने फरमाया कि , मैंने उपरोक्त चमत्कार नहीं देखे है। तब शांत स्वभाव से आदरपूर्वक काशी के महात्माओं ने निरंजन तपोपुरीजी से आग्रह किया कि आप पुनः अपने कर्म स्थान ' श्री वोवेश्वर महादेव जी ' पधारे और एक तुम्बी में वहां की गंगा का जल ' पहाड के कंकर और पीपल के दो पत्ते डाल कर तुम्बी पर कपडा बांध कर अपनी छडी सहित कुण्ड में विसर्जित कर दिखावें ।*
*प्राचीन समय में आवागमन के कोई साधन नहीं थे। अतः पैदल चल कर धीरे-धीरे वर्ष-छःमास में पुनः श्री वोवेश्वर महादेव जी झाडो़ली वीर पहुँचे और काशी के महात्माओं के बताए अनुसार वैसा ही कर अपनी तुम्बी व छडी कुण्ड में विसर्जित कर दी और वहीं कर्म धीरे-धीरे पुनः काशी की तरफ प्रस्थान कर दिया । कालान्तर में समय विचरण होने पर काशी पहुंचे और अपने घाट पर जाकर महात्माओं सहित देखा तो वर्ष भर पूर्व झाडो़ली वीर श्री वोवेश्वरजी महादेव के कुण्ड में प्रवाहित की हुई छडी अत्यंत तरोताजा निकली तथा तुम्बी से वस्त्र हटाकर देखा तो ताजा गाय का निकाला हुआ दूध तथा तांबे के कंकर व सोने के पत्ते निकले यह चमत्कार देखकर निरंजन तपोपुरी जी आश्चर्य चकित रह गये और काशी विश्वनाथ श्री वोवेश्वर महादेव की जय-जयकार करने लगे। तब काशी के महात्माओं ने फरमाया कि देखा - तपोपुरीजी वोवेश्वरजी महादेव का पर्चा देखा कितना अद्भुत चमत्कारी है, आपका काशी विश्वनाथ श्री वोवेश्वर महादेव की वस्तु स्वतः ही काशी पहुँच गयी , काशी के महात्माओं ने कहा कि- जो पुण्य आपको यहाँ आने से मिला है, वह तो आपको श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर मठ में दर्शन पूजा-अर्चना से ही प्राप्त हो जाता है । इस प्रकार श्री तपोपुरीजी ने चार फेरे काशी के किए एवं अपनी भक्ति के संचय कर कुछ भ्रम हुआ कि मेरी आराधना अधूरी थी। जिसमें मैं इन दिव्य वस्तुओं को नहीं पहचान पाया और घोर तपस्या में लीन हो गये। कहते है कि काशी में मृत्यु से सीधा मोक्ष मिलता है । काशी में प्रतिदिन महाकाल, उज्जैन में नये कंकाल की भस्म चढती है एवं भस्म श्रृंगार होता है। तो यहाँ श्री वोवेश्वर महादेव जी के चरणों में भी ३६ कोम की जाति के मुक्ति-धाम है ।*
*पागल कुत्ते काटने पर यहा पहुंचते हैं -*
_👉 *मूल मंदिर में विराजमान देवता:-*_
*दांयी बाजू से अखण्ड ज्योति... श्री गणपति, माता पार्वती जी, भगवान विष्णु जी, महालक्ष्मी जी, ब्रह्मा जी। मध्य में स्वयं भू स्वयं काशी विश्वनाथ श्री वोवेशवर जी महादेव चरणों में तपोपुरिजी का चेहरा उत्कीर्ण किया हुआ सन्मुख-दण्ड, त्रिशुल-दो नन्दी, चरण पादुकाओं में गंगाजल, कुण्ड जिसका जल किसी भी परिस्थिति में समाप्त नहीं हुआ है।*
_👉 *अन्य मंदिर -*
*सिद्धि विनायक गणपति, वैद्यनाथ महादेव, नौग्रह शनिदेवता, सूर्य भगवान, श्री हनुमान जी, गणपति जी, एकाम्ब्रेश्वर महादेवजी चेन्नई वाले, पाँचो पाण्डव, शेषनाग, द्वारकाधीश, निरंजन तपोपुरीजी की जीवित समाधि, भण्डारा, अंदर कोठर में साधुओं की हिंगलाज माता मंदिर जो वर्ष में दो बार दोनो नवरात्री में खुलता है। मंदिर मठ में महंतों की धूणी व पूजनीय पाट चौक में शोभायमान अखण्ड सौभाग्य व आयुष्मान पीपल का विशाल वृक्ष जो युग युगांतर इसी रूप में वर्षों पुरानी शाखाएं सूखने पर नई तैयार होती है, इस प्रकार अविरलरूप अनव्रत धारा से चलता रहता है, पीपल के सोने पत्ते आज भी विद्यमान है जो भक्तों को शिव मेलों पर दर्शन में दिखते हैं।*
*पांच पांडवों ने यहां तपस्या की -*
जय पशुपति उमापति नाथ श्री वोवेश्वर महादेव नमः 🙏🙏🙏
कातकी पूर्णिमा के दिन मंदिर मे मेले का आयोजन भव्य रूप में किया जाता हैं लाखों लोग यहाँ दर्शन करने के लिये आते हैं
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अब श्री श्री 1008 श्री रूप पूरी जी महाराज श्री वोवेश्वर महादेव के गादि पति हैं उनकी देख - रेख मे मंदिर का भव्य निर्माण हो रहा हैं और श्री वोवेश्वर महादेव भव्य नज़ारा और परम शांति का अनुभव होता हैं
जय श्री वोवेश्वर महादेव 🙏🙏
इसके अतिरिक्त मेंने part 2 me भी और जानकार डाली हैं आप सब पड़ना चाते हो होतो पढ़ सकते हो
इस ब्लू रंग की लाइन को touch कर के
श्री वोवेश्वर महादेव मंदिर के दृश्य
श्री महादेव मुख्य मंदिर ।
समाधि
वोवेश्वर महादेव प्रांगण
Comment
jarur kre aapke ye post kesi lagi
Thanks
Hii
जवाब देंहटाएंHii
हटाएंFollow kro bhai sahab
हटाएंNice
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंJay voveshwar mahadev
Jay mahadev
जवाब देंहटाएंJay voveshwar mahadev
Jay mahadev
जवाब देंहटाएंJay ho
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंJabardust mahima
जवाब देंहटाएंBest mahima
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंJay voveshwar mahadev
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंJay ho shiv shambu
जवाब देंहटाएंBahut badiya
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएं����������
जवाब देंहटाएंJay shree mahakal
जवाब देंहटाएंJay mahadev ki
जवाब देंहटाएंYe parsangh pad kr man parshn ho gaya
जवाब देंहटाएंMe yha pe gya tha lekin yha pe abhi bhi Jat pat kiya jata h
जवाब देंहटाएंPta ni kyu
Itta Jat pat to mahabharat me sutputra karn ke shat bhi ni hua phle jati puchte h
Nani Bhai esa Nani hai Innka bhi koi niyam hai
हटाएंJay Mahadev ki
जवाब देंहटाएंJay shiv shamboo
जवाब देंहटाएंJay mahadev
जवाब देंहटाएंjay shiv shamboo
जवाब देंहटाएंhar har mahadev
जवाब देंहटाएंvoveshwar mahadev ki jay
जवाब देंहटाएंmahakal ki jay
जवाब देंहटाएंJay Mahadev
जवाब देंहटाएंJay Mahadev
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